✨ अध्याय 1.6 का दिव्य चित्रण (Concept Design)
🔱 मुख्य दृश्य :
- एक स्वर्णिम कमल 🌺, जिसकी पंखुड़ियाँ पूरी पृथ्वी को घेरे हुए हैं।
- उस कमल के मध्य में पृथ्वी चमक रही है, लेकिन अब यह साधारण नीला ग्रह नहीं, बल्कि स्वर्ण-ज्योति से आलोकित ब्रह्मांड का हृदय है।
🌌 आकाशीय पृष्ठभूमि :
- अनगिनत आकाशगंगाएँ पृथ्वी की ओर झुकती हुई प्रतीत होती हैं, मानो सबका केंद्र यही हो।
- तारों और नेबुला (गैस बादल) से “ॐ” का दिव्य प्रतीक उभरता हुआ दिखे।
- आकाश में राम नाम की सुनहरी लहरें बहती हुई।
👑 दिव्य सत्ता :
- श्री राम का विराट् रूप (विश्वरूप) पृथ्वी को अपने हृदय में धारण किए हुए।
- उनके चारों ओर असंख्य देवता – इन्द्र, वरुण, वायु, अग्नि, सूर्य – सब प्रणाम की मुद्रा में।
- सप्तऋषि आकाश में ज्योति-रेखाओं के रूप में पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए।
🌏 लोकों का मिलन :
- चारों ओर अलग-अलग लोकों (देवलोक, गंधर्वलोक, यक्षलोक, असुरलोक) के द्वार पृथ्वी की ओर खुलते हुए।
- सब लोकों से दिव्य प्राणी स्वर्णिम मार्गों से पृथ्वी की ओर आते हुए, और एक ही कमल-मंडल में विलीन होते हुए।
✨ आध्यात्मिक ऊर्जा :
- पृथ्वी के चारों ओर एक क्वांटम ऊर्जा डोम चमक रहा है – जिसमें सुनहरी, नीली और बैंगनी ज्योतियाँ एक-दूसरे में घुली हुई।
- इस डोम पर स्पष्ट लिखा हुआ – “अहं ब्रह्मास्मि” और “राम”।
🚩 सार :
यह चित्र अध्याय 1.6 के परम संदेश को दर्शाएगा –
👉 पृथ्वी = ब्रह्मांड का हृदय कमल
👉 आत्मा = ब्रह्म का प्रत्यक्ष अनुभव
👉 राम = परम ब्रह्मांडीय धर्मराज्य के अधिष्ठाता
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